sdasad
    • 01 DEC 16
    25 मंत्र जो तनाव का करेंगे समूल नाश

    १) संसार को हंसाने एव स्वयं हंसते रहने वाले लोग औसत मानव की तुलना में अत्यधिक लंबी आयु प्राप्त करते हैं । हँसना आपके तनाव रहित होने का परिचायक है । यह मुस्कान ही है जो आपको एक नवीन चेतना देती है । आपकी जिंदगी घुट-घुटकर जीने के लिए नहीं बल्कि हंस-हंसकर गुजारने के लिए है । मुस्कान एक तरह का सेफ्टीवाल्व है जिसके माध्यम से व्यक्ति के बगैर व्यक्ति कुम्हला जाता है, मुरझा जाता है । जीवन में नकारात्मक हो जाता है, आत्मघाती हो जाता है गंभीर हो जाता है । गंभीरता भी एक बीमारी है । नकारात्मक पक्ष से बचें । इसलिए हँसे, खिलखिला कर हंसें, सहज होकर हँसें ।

    ⁠⁠⁠गौ नस्य

    २) मनुष्य को अपनी मन:स्थिति को स्थिर एवं एकत्रित करके चिंताओं है दूर रहना चाहिए, क्योंकि इन कारणों से सेक्स (काम) शक्ति न्यून हो जाती है एवं शरीर तो कोई हिस्सा ऐसा नहीं होता जो शिथिल न पड़ जाता हो । इसलिए चिंता को दूर करने के लिए उतना ही काम करना चाहिए, जितना सरलता से पूरा हो जाए । ज्यादा काम सिवाय परेशानी पैदा करने के और कुछ नहीं करता ।

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    ३) आपने शायद कभी एहसास या विचार किया हो कि मानसिक तनाव जितना अधिक होगा, सेक्स की उतनी ही अधिक आवश्यकता होगी तथा तनाव जितना कम होगा, सेक्स की आवश्यकता भी कम ही महसूस होगी, क्योंकि चिंता व तनाव से पीड़ित मानव अधिक उत्तेजित रहता है और आराम पाने के लिए सेक्स की जरूरत महसूस करता है । इसलिए जहाँ जितनी चिंता और भागदौड़ है, जितना तनाव है उतनी है अधिक वहाँ कामुकता (सेक्सयुअलिटी) पनपी हुई है । काल के असर से बाल्यावस्था एवं जरावस्था तनाव रहित होती है । इसलिए इस आयु में कामुकता भी नहीं होती । चित्त जितना शांत और तनाव रहित अवस्था में रहेगा उतना ही कामुकता से दूर रहेगा तब उतनी ऊर्जा खर्च नहीं होती, जितनी कामुक बने रहने से होती है ।

    ४) आज की भाग-दौड़ भरी जिदगी में ज्यादातर लोग तनाव की गिरफ्त में रहते हैं । इसलिए तनावपूर्ण अवस्था में अपने-अपने किसी और काम में लगाने की कोशिश करें ताकि आप तनाव रहित रह सकें ।

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    ५) समस्त कठिनाइयों तथा समस्याओँ को एक साथ हल करने की कोशिश करके उलझना नहीं चाहिए । एक समय में एक समस्या का निदान करें । आप अपनी सामर्थ्य से आगे न सोचिए न काम करने का विचार करिए । आपकी नजरों में जो उपयोगी व प्रयोग करने योग्य हो वही कीजिए ।

    ⁠⁠⁠गौ नस्य

    ६) ईर्ष्या न करो, ईश्वर का मनन करो । ईष्या करने से तो मन जलता है लेकिन ईश्वर का मनन करने से मन असीम शीतलता का अनुभव करता है |

    ७) जितना हो सके उतना अन्य लोगों की कठनाइयों व समस्याओँ का समाधान करने का भरसक प्रयास कीजिए । दूसरों को समस्याओ के निदान में सहयोग देने से आप अपनी चिंताओं को खुद ही भूल जाएंगे ।

    ८) मन एवं चेतना में जो प्रदूषण पनप गया है उसके प्रति हम समग्र ध्यान नहीं दे रहे हैं | भौतिक प्रदूषण से अधिक जरूरी है मानसिक प्रदूषण से बचना । बिना अंदरूनी प्रदूषण खत्म किए बाहरी प्रदूषण से निजात नहीं मिल सकती है ।

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    ९) तनाव और अनिद्रा का परस्पर संबंध है, इसलिए तनाव ग्रस्त रहना अच्छा नहीं है, अकस्मात तनाव से राहत पाना संभव नहीं है पर धीरे-धीरे इस तरफ कोशिश करनी चाहिए | हर वक्त गंभीरता का चोला ढंके रहना भी अच्छा नहीं है, इसलिए आपको हल्के-फुल्के रहने की आदत डालनी चाहिए | अनिद्रा पर अंकुश पाने के लिए खान-पान पर नियंत्रण के साथ-साथ थोड़ा-सा शारीरिक श्रम भी नितांत आवश्यक है । संतुलित भोजन का सेवन किया जाए एवं उसे सरलता से पचाया जाए तो फिर शायद नींद को कोई समस्या नहीं होगी तथा संगीत की सुमधुर ध्वनि नींद लाने में सहायक होती है ।

    १०) जब आप निराशा के पलों में हों, तो जीवन आधारित उपयोगी निर्णय न लें । यदि ऐसा करें भी तो अपने किसी विश्वासपात्र से परामर्श अवश्य लें ।

    ⁠⁠⁠गौ नस्य

    ११) मद्यपान करना छोड़ दें एवं चिकित्सक के सुझाव का पालन करें । ‘जैसा खाए अन्न वैसा होगा मन’  इस लोकोक्ति के अनुसार शाकाहार एवम् खासतौर से सात्विक शाकाहार से मानसिक स्वास्थ्य प्राप्त करने में पूर्ण सहायता मिलती है । इसलिए मानसिक निरोगता और धार्मिक आध्यात्मिक विकास के लिए शाकाहार ही सर्वोत्तम है ।

    १२) मानसिक तनाव से राहत पाने में व्यायाम विशेष लाभकारी है, इसलिए नित्य व्यायाम अवश्य करें |

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    १३) प्राकृतिक जीवन शैली बिमारियों को खत्म ही नहीं करती, बल्कि काया तथा मन को ऐसा विकसित करने में सहयोग देती है कि बीमारी खुद नष्ट हो जाती है और नई बीमारी पैदा नहीं होती ।

    १४) हमारी जीवनशैली के तनावग्रस्त होने के कारण यह अधिकतर रोगों के पैदा होने में अहम भूमिका निभाती है । अत: इन रोगों से बचाव का यथेष्ट साधन यही है कि हम जरूरत के मुताबिक अपनी जीवन शैली में बदलाव लाएं तथा तनाव को पैदा न होने दे, सामाजिक बने । नियमित भोजन तथा समय पर नीद लें तथा जीवन के प्रति सकारात्मक रुख अपनाएं ।

    १५) पुरानी यादें ताजा करें, फोटो एलबम देखे, अपने पुराने सुकून भरे सुख के दिन याद करें, अपने पुरस्कारों एवं उपलब्धियों का पुन: अवलोकन करें ।

    १६) अपने काम का टाइमटेबल बनाएं उसी के अनुसार अपनी दिनचर्या एवं योजनाओ को व्यवहारिक रूप से पूरा करें ।

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    १७) शुद्ध, संतुलित नियमित भोजन को आदत डालें, जितना हो सके प्रदूषण रहित वातावरण में वास करें, जल का अधिक से अधिक सेवन करें । चिकने, तले भोजन से बचें एवं एक समय पर एक ही कार्य करें, जिस कार्य को शुरू करें उसे पूरा जरूर करें बीच में न छोड़े ।

    ⁠⁠⁠गौ नस्य

    १८) अपनी आशाओं, अपेक्षाओं एवं महत्वाकांक्षाओं पर नियंत्रण रखे । दूसरे से होड़, तुलना, ईंष्यों और प्रतिस्पर्धा को कम करें | सहनशीलता, धैर्य और क्षमा जैसे गुणों को अपनाएं व बढाएं ।

    १९) जीवन का लक्ष्य निर्धारित करें । किसी को अपना आदर्श बनाएं । उसकी एवं अन्य सफल लोगो की संघर्ष एवं चुनौतीपूर्ण जीवनी पढे । अपनी अलमारियों एवं दीवारों आदि पर महान लोगों की तस्वीरें व उनके विचार आदि लगाएं ।

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    १०) आत्मशक्ति को बढाएं । स्वयं की समय-असमय परीक्षा लेते रहें । स्तर जांचते रहे, सक्रिय रहे ।

    २१) मन को शांत एवं एकाग्र करने के लिए ध्यान-साधना, मंत्र-जाप आदि का सहारा लें ।

    २२) तनाव दूर करने के लिए स्नान एवं मसाज थैरेपी को अपनाएं । शरीर को हल्का रखने के लिए कपड़े भी ऐसे पहले जो स्वयं को सुकून दें

    २३)  ढीले, साफ, स्त्री किए हुए कपड़े पहनें । शरीर को सॉफ व सुगंधित रखे, इत्र का प्रयोग करें ।

    २४) हर एक से न तो उम्मीद रखे न ही हर एक को खुश करने को कोशिश करें । हाँ, किसी से बिगाड़े नहीं, लेकिन इसका अर्थ यह नहीं कि हर किसी को अपना बनाने में लगे रहें |

    २५) तनाव को कम करने के लिए खाली पन्ने पर, अपने मान एवम् उद्वेग अनुसार आदि-तिरछी लकीरें खींचे |

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    तनाव (सिरदर्द) का पंचगव्य उपचार

    ⁠⁠⁠गौ नस्य

    मुख्य लक्षण– सिर में दर्द होना | यह स्वतंत्र व्याधि भी है ओर कुछ व्याधियों का लक्षण मात्र भी |

    मुख्य दोष– वात, पित्त, कफ

    प्रभावित संस्थान– वातनाड़ी संस्थान

    गौमूत्र की उपयोगिता– गौमूत्र मेधी है, इसलिए मस्तिष्कीय ज्ञान-तंतुओं को शक्ति देता है | दीपन ओर पाचन होने के कारण शरीर को बनाए रखता है | पित्त, तिक्त व उष्ण होने के कारण लाभ करके नाड़ी संस्थान तो ताक़त देने से सरदर्द को मिटाता है | नित्य गौमूत्र पीने से स्थाई रूप से सरदर्द नष्ट हो जाता है |

    गौ-नस्य की उपयोगिता– देशी गाय के दूध के कण अत्यंत सूक्ष्म होने के कारण उसके घी से बना गौ-नस्य मस्तिष्क के अतिसूक्ष्म नाड़ीयों में जाकर अवरोध को दूर कर सरदर्द को मूल सहित उखाड़ फेंकता है |

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