पूर्णान्न् एवं सर्व औषधियों का सार
गौमाता विविध औषधीय वनस्पतियां चरकर उनका सार मानव को अपने दूध के रूप में देती है | इस विश्व में गाय के दूध समान अन्य कोई भी पौष्टिक आहार नहीं है | गाय के दूध को ‘अमृत’ कहा जाता है | आरंभिक 3 वर्ष तक दूध जीवन का मुख्य आधार होता है | नन्हे शिशु की मां ना हो, तो वह गाय के दूध पर जीता है | जन्म से मृत्यु तक किसी भी आयु में दूध निषेध नहीं होता | स्वास्थ्य की दृष्टि से दूध को पूर्णान्न् माना गया है |
जीवनी शक्ति देने वाला सर्वश्रेष्ठ रसायन
दूध में शरीर का संवर्धन करने वाला तत्व होता है | गाय के दूध से मानव की शारीरिक, मानसिक एवं आध्यात्मिक शक्ति बढ़ती है | प्राचीन काल में ऋषि मुनि गाय का दूध पीकर तपश्चर्या करते और गो सेवा में मग्न रहते थे | चरक संहिता में दूध को ‘प्रवर जीवनयाना क्षीरमुक्त रसायनम |’ अर्थात ‘जीवनीय शक्ति देने वाला सर्वश्रेष्ठ रसायन’ कहा है | सुश्रुतसंहिता में दूध को ‘जीवनीय’ तथा ‘सर्व प्राणियों का आहार’ कहा गया है |
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दूध का गुण धर्म एवं रोगनाशक सामर्थ्य
गाय का दूध जीवनी शक्ति देने वाला, बुढापा रोकने वाला, रोगों को नष्ट करने वाला, बुद्धि एवं बल बढ़ाने वाला, स्तनपान कराने वाली माताओं के दूध में वृद्धि करने वाला तथा मृदु रेचक (शोच को साफ करने वाला) है | यह थकान, चक्कर आना, सांस रोग (दमा), खांसी, बार बार प्यास लगना, अधिक भूख लगना, जीर्ण ज्वर, मूत्र विसर्जन के समय कष्ट होना इत्यादि विकारों को नष्ट करता है | दूध आयु बढ़ाता है |
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आधुनिक चिकित्सा शास्त्रानुसार दूध के विशेषताएं
- गाय के दूध के कण सूक्ष्म एवं पचने में हल्के होते हैं | दूध पीने पर यह कण मस्तिष्क तक जाकर, उसका पोषण करते हैं
- गाय के दूध में अ-जीवनसत्व होता है | इससे आंखों का पोषण होता है तथा दृष्टि अच्छी रहती है |
- देशी गाय के दूध में कर्क रोग से लड़ने के लिए उपयुक्त ‘ओमेगा ६’ नामक घटक प्राकृतिक रुप से होता है |
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मनीष भाई एक गौसेवक है | आपका एक ही लक्ष्य है, गौ सेवा के माध्यम से मानव सेवा… गौमाता के संरक्षण के लिए आपके कई प्रकल्प (जैसे- मेरी माँ) जयपुर में चल रहे है ओर अब ये स्वयं पंचगव्य चिकित्सा प्रशिक्षण देते है |