गोमूत्र गाय या बैल किसका लिया जाए औषधि उपयोगिता के आधार पर ?
सामान्यतः आयुर्वेद में चिकित्सा के लिए गाय का ही गौमूत्र काम में लिया जाता है, यह सामान्य नियम है | पर चक्रपाणि का मत है ‘लाघव जाति सामन्ये स्त्रिणा प्रसाच गौरवंम’ | स्त्री जाति का मूत्र लक्षण होने से ही मात्र प्रशस्त है | पर बैल भी गौवंश होने से और उसका मूत्र तीक्ष्ण होने से औषधि गुणयुक्त ज्यादा ही लाभकारी है | यह विशेष नियम है | बैल का मूत्र औषधी गुणवत्ता से कम नहीं है | अतः गाय-बैल का ही मूत्र औषधीय गुण के लिए है | आखिर गोवंश तो एक ही है |
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गोमूत्र कैसे लेना चाहिए ?
गौमूत्र सही तरीके से तो अपने शुद्ध रूप में कांच के या चीनी मिट्टी के अथवा मिट्टी के बर्तन में अथवा स्टील के पात्र में, गर्भवती नहीं हुई हो, ऐसी गाय का मूत्र खाली पेट सुबह पीना चाहिए | ऐसा ना निभा तो किसी भी आयु की गाय का गोमूत्र ले सकते हैं | स्वस्थ गाय का ध्यान अवश्य ही रखें
जाने- क्यों कहते है गौमूत्र को पृथ्वी पर सर्वश्रेष्ठ मूत्र ?
[elfsight_popup id="2"]My content[elfsight_popup id="2"]मनीष भाई एक गौसेवक है | आपका एक ही लक्ष्य है, गौ सेवा के माध्यम से मानव सेवा… गौमाता के संरक्षण के लिए आपके कई प्रकल्प (जैसे- मेरी माँ) जयपुर में चल रहे है ओर अब ये स्वयं पंचगव्य चिकित्सा प्रशिक्षण देते है |