माइग्रेन कहने को तो सिरदर्द का ही एक रूप होता है लेकिन यह भी सच है कि यह सामान्य सिरदर्द से कहीं अधिक तकलीफ दायक होता है तथा इसके इलाज के लिए आवश्यक है इसकी पूरी जानकारी । तो आइए जानें क्या होता है माइग्रेन?
क्या होता है माइग्रेन ?
कहने को तो माइग्रेन भी एक प्रकार का सिरदर्द ही है लेकिन माइग्रेन के दर्द की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यह दर्द प्राय: सुबह बिस्तर छोड़ते समय शुरू होता है । माइग्रेन में सिर के आधे हिस्से में भारी दर्द होता है । आधे हिस्से में सिरदर्द के कारण माइग्रेन को आधासीसी भी कहा जाता है | यह बहुत ही तकलीफ देने वाला होता है । इसमें व्यक्ति को दर्द आंख व कनपटी के पास से शुरू होकर सिर के एक तरफ से होता हुआ पूरे सिर में फैल जाता है । दुनिया में 15 प्रतिशत लोग इससे पीडित हैं ।
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लक्षण व प्रकार
माइग्रेन का लक्षण यह है कि यह सुबह उठते समय आखों के उपर दाई या बाई ओर से दर्द महसूस होने लगता है | माइग्रेन का दर्द कुछ घंटों से लेकर कुछ हफ्तों तक बना रहता है । ऐसे में रोगी अपनी दैनिक क्रियाओं को संपादित करने में भी असहाय रहते हैं | किसी भी काम में उनका मन नहीं लगता । किसी को बातचीत भी नहीं सुहाती | रोशनी में रहना भी अच्छा नहीं लगता और वे प्राय: अंधेरे कमरे में सिर पर पट्टी बांधे एकांत में रहना पसंद करते हैं ।
यह दो प्रकार का हो सकता है… सामान्य तथा विशिष्ट । सामान्य माइग्रेन का दर्द अचानक उठता है जबकि विशिष्ट माइग्रेन में दर्द से पूर्व कुछ चेतावनी सूचक लक्षण भी प्रकट होते हैं, जैसे…चक्कर बना, आंखों के सामने चमकीली रोशनी नजर आना, भूख की कमी आदि ।
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क्यों होता है माइग्रेन ?
माइग्रेन का दर्द क्यों होता है ? इस बारे में सुनिश्चित तौर पर तो कुछ नहीं कहा जा सकता हैं लेकिन ख़ान-पान की गड़बड़ी और कुछ शारीरिक दोष इसे बढ़ाते अवश्य है | भोजन में तली हुई चीजे या गरिष्ठ भोजन से दर्द का गहरा ताल्लुक है । इसके अतिरिक्त माइग्रेन का दौरा कई कारणों से आ सकता है जैसे-तनाव, थकान, उच्च रक्तचाप की यहां तक कि खाद्य पदार्थों की गंध से भी । कुछ लोगों को चॉकलेट, कॉफी या खट्टे फलों से भी इसके दौरे पड़ सकते हैं । इसके अलावा प्याज़, टमाटर लहसुन आदि से भी इसके दौरे पड़ते देखे गए है । कुछ रोगियों को उलटी होने के बाद राहत महसूस होती है, कुछ को नहीं ।
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सावधानियां
1) जब माइग्रेन का दौरा पड़ा हो, तब रोगी को तकिए रहित बिस्तर पर सीधे सुलाना चाहिए । तकिये से दर्द बढ़ सकता है । माइग्रेन के रोगी को रोशनी सहन नहीं होती है इसलिए उसे अंधेरे कमरे में सुनाना चाहिए ।
2) माइग्रेन के रोगी को चाहिए कि वह तेज धूप में बाहर न निकलें, यदि जाना आवश्यक ही हो तो धूप का चश्मा लगाकर जाएं । साथ ही माइग्रेन के रोगी को खाली पेट कभी नहीं रहना चाहिए । सुबह का नाश्ता बहुत जरूरी है ।
3) रोगी को चाहिए कि वह हर छह माह में अपने रक्तचाप और आंखों का परीक्षण कराता रहे । यदि रक्तचाप बढा हो, तो उसका उपचार कराएं । इसी प्रकार यदि चश्मे की जरूरत महसूस हो या नंबर बढ़ रहा हो तो चश्मा लगवाए । व जरूरी है कि चॉकलेट, आइस्क्रीम और कोई भी मूत्रवर्धक खाद्य पदार्थ न लिया जाए ।
4) माइग्रेन के रोगी को कुछ चीजों का सेवन बिल्कुल बंद कर देना चाहिए। जैसे शराब, माँस, चाय, कॉफी, आदि । घी-तेल का इस्तेमाल भी कम से कम करना चाहिए । माइग्रेन के दर्द की अवस्था में सिर पर ठंडे पानी की पट्टी रखने से लाभ मिलता है ।
5) जिन्हें माइग्रेन की शिकायत हो उन्हें न्यूरोलॉंजिस्ट रानी स्नायु रोग विशेषज्ञ से संपर्क करना चाहिए तथा उसी से उपचार कराना चाहिए । माइग्रेन की कोई भी दवा अपने मन से नहीं लेनी चाहिए । इन दवाओं के दुष्प्रभाव हो सकते हैं । इसके अलावा माइग्रेन से पीड़ित लोग अब छोटे से ऑपरेशन के जरिये भी इस बीमारी से निजात पा सकेंगे । अमेरिकी डॉक्टरों के मुताबिक सिर और गर्दन की कुछ मांसपेशियां हटाकर माइग्रेन का दर्द हमेशा के लिए दूर किया जा सकता है
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क्या खाएँ जब माइग्रेन सताए ?
माइग्रेन का दर्द कम करने के लिए यह आवश्यक नही की हर बार दवाई का सहारा लिया जाए कुछ खाद् पदार्थ ऐसे भी है जिनसे माइग्रेन सरलता से दूर किया जा सकता है |
सुबह उठकर दांत साफ कर लें । लेकिन अभी कुछ खाएँ नहीं, क्योंकि मुनक्का खाली पेट खाना है । अब धीरे-धीरे चबाते हुए मुनक्के को खाएँ । आपको इसका स्वाद कुछ अजीब लग सकता है । इसके बाद अगर आपको नींद न भी आ रही हो तब भी वापिस बिस्तर पर जाकर लेट जाएं और अपना सर एक कम्बल से ढक ले | ऐसा करना बहुत जरूरी है । आए यदि तीन दिन तक लगातार इस उपाय को करेंगे तो आपको इसका बहुत लाभ मिलेगा । यदि आपको तीन दिन में इसका लाभ नहीं होता तो आप इसे दोहरा भी सकते हैं |
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इस उपाय का कोई साइड इफेक्ट नही है
1) ब्रॉकली में मैंनीशियम पाया जाता है तो ब्रॉकली को या तो स्टीम कर के खाइये या फिर उबाल कर ।
2) दिन में कम से कम 12 से 14 गिलास पानी जरूर पीए ।
3) हरी पत्तेदार सब्जियों में मैग्निशीयम अधिक होता है । यह रसायन माइग्रेन के दर्द को तुरंत गायब कर देगा । साबुत अनाज, और गेंहू आदि में बहुत मैग्निशियम होता है ।
4) बाजरा में फाइबर, एंटीआँक्सीडेंट और मिनरल पाये जाते हैं । तो ऐसे में दर्द पडने पर साबुत अनाज से बने भोजन का जरूर सेवन करें ।
5) अलसी के बीज में भी खूब सारा ओमेगा 3 और फाइबर माया जाता है । यह बीज सूजन को कम करती हैं । यह माइग्रेन के लिए भी बहुत अच्छा होता है |
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माइग्रेन से बचाव के घरेलू नुस्खे
1) दर्द होने पर सिर की हल्की मालिश करें इसके अतिरिक्त मक्खन में मिश्री मिला कर खाना भी लाभकारी होता है |
2) एक तौलिए को गर्म पानी में डुबोकर, उससे दर्द वाले हिस्से पर सेंक दें । इसके अलावा ठंडा सेंक देने के लिए आप बर्फ के टुकड़ों का भी प्रयोग का सकते हैँ |
3) संतुलित आहार व संतुलित दिनचर्या का पालन करें व नींद पूरी लें |
4) आप ध्यान, योगासन, एक्यूपंक्चर, या अरोमा थेरेपी जैसी वैकल्पिक चिकित्सा का भी सहारा ले सकते है ।
5) मुनक्के के बीज निकालकर इसे कपूर से भर लें । अब इस प्रकार से भरे हुए मुनक्के को किसी बर्तन में डालकर रात को सोते समय अपने सिरहाने रख दे। सुबह का अलार्म इस तरह से सेट कर दें कि सूर्योदय से एक घंटा पहले आप उठ जाएँ
6) नीम के पत्तों का रस और गाय के शुद्ध घी को सूंघने से भी दर्द में फायदा होता है |
7) नींबू के छिलके को पीस कर दर्द वाले हिस्से में लगाना भी माइग्रेन के लिए होता है ।
8) इस दर्द में अगर सिर, गर्दन और कंधों की मालिश की जाए तो यह इस दर्द से राहत दिलाने में बहुत मददगार साबित हो सकता है । इसके लिए हल्की सुगंध वाले अरोमा तेल का प्रयोग किया जा सकता है |
9) एक तौलिये को गर्म पानी में डुबाकर, उस गर्म तौलिये से दर्द वाले हिस्सों की मालिश करें | कुछ लोगों को ठंडे पानी से की गई इसी तरह की मालिश से भी आराम मिलता है । इसके लिए आप बर्फ के टुकडों का उपयोग भी कर सकते हैं ।
10) कपूर को घी में मिलाकर सिर पर हल्के हाथों से मालिश करें व मक्खन में मिश्री मिलाकर सेवन करें |
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माइग्रेन का उपचार
मुख्य लक्षण– सिर में दर्द होना | यह स्वतंत्र व्याधि भी है ओर कुछ व्याधियों का लक्षण मात्र भी |
मुख्य दोष– वात, पित्त, कफ
प्रभावित संस्थान– वातनाड़ी संस्थान
गौमूत्र की उपयोगिता– गौमूत्र मेधी है, इसलिए मस्तिष्कीय ज्ञान-तंतुओं को शक्ति देता है | दीपन ओर पाचन होने के कारण शरीर को बनाए रखता है | पित्त, तिक्त व उष्ण होने के कारण लाभ करके नाड़ी संस्थान तो ताक़त देने से सरदर्द को मिटाता है | नित्य गौमूत्र पीने से स्थाई रूप से सरदर्द नष्ट हो जाता है |
गौ-नस्य की उपयोगिता– देशी गाय के दूध के कण अत्यंत सूक्ष्म होने के कारण उसके घी से बना गौ-नस्य मस्तिष्क के अतिसूक्ष्म नाड़ीयों में जाकर अवरोध को दूर कर सरदर्द को मूल सहित उखाड़ फेंकता है |
[elfsight_popup id="2"]My content[elfsight_popup id="2"]मनीष भाई एक गौसेवक है | आपका एक ही लक्ष्य है, गौ सेवा के माध्यम से मानव सेवा… गौमाता के संरक्षण के लिए आपके कई प्रकल्प (जैसे- मेरी माँ) जयपुर में चल रहे है ओर अब ये स्वयं पंचगव्य चिकित्सा प्रशिक्षण देते है |