सिरदर्द कहने को तो बेहद ही सामान्य रोग लगता है लेकिन यह भी सच है कि जब भी व्यक्ति सिरदर्द से प्रभावित होता है तो न तो वह चैन से बैठ सकता है न अन्य कोई कार्य कर सकता है । ऐसे में वह सिरदर्द से छुटकारा याने के लिए पेन किलर का सहारा लेता है, जो कि स्वास्थ्य के लिए अच्छे नहीं होते । ऐसे में आइए आपको बताते हैं कुछ ऐसी आयुर्वेदिक औषधियों व घरेलू नुस्खो के बारे में जिससे आप सिरदर्द से फोरन मुक्ति पा सकते हैं ।
जाने- सिरदर्द क्या है ओर ये क्यूँ होता है ?
घरेलू नुस्खे
० तुलसी के तीस पत्ते, 12 वाली मिर्च और एक गाँठ लहसुन के साथ थोड़ा पानी डालकर पीस लें । इस लुगदी को कपड़े में रखकर शीशी में निचोड़ दे । इस शीशी को दिन में कईं बार जोर से सूँघे । पुराना सिरदर्द भी ठीक हो जाएगा । शीतऋतु में सिरदर्द दूर करने की दृष्टि से तुलसी की चाय बनाकर पीना हितकारी है ।
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० सिरदर्द मेंनाक बंद हो तो पन्द्रह तुलसी के पत्ते और लोंग को थोड़े-से घी में आग पर रखकर उसके धुएं को जोर से सूँघें । पुराना सिरदर्द भी ठीक हो जाएगा ।
० गर्मी के कारण सिरदर्द हो रहा हो तो लौकी के टुकड़े माथे पर मलने से लाभ होता है ।
० एक चम्मच सौंफ चबाकर दूध पीलें । पेट और सिरदर्द में लाभ होगा ।
० थोडा-सा प्याज का रस, महुए का बीज और चार दाने काली मिर्च को पीसकर छान लें । इस छनित अर्क की कुछ बूंदें नाक में डालने से सिरदर्द में राहत मिल जाती है । आधे सिर में दर्द हो रहा हो तो देशी घी में काली मिर्च घिसकर नाक में बूंदें डालें या मात्र प्याज को खूब महीन कूटकर पांव के तलवों पर लेप कर देने से हर प्रकार का सिरदर्द दूर हो जाता है ।
० तीव्र सिरदर्द में तेजबल के पत्तों का स्वरस देने से शीघ्र लाभ मिलता है ।
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० हींग सिरदर्द में लाभकारी है । जिन्हें सर्दी में सिरदर्द रहता हो, उन्हें हींग घिसकर चंदन की तरह लेप करना चाहिए तथा थोडी-सी मात्रा पानी के साथ निगल लेनी चाहि
० तेज पत्ती की काली चाय में नींबू का रस निचोड़ कर पीने से सिरदर्द में अत्यधिक लाभ होता है । .
० सफेद चंदन पाउडर को चावल धुले पानी में मिलाकर उसका लेप लगाने से है फायदा होगा ।
० सफेद सूती का कपडा पानी में भिगोकर माथे पर रखने से भी आराम मिलता है ।
० लहसुन पानी में पीसकर उसका लेप भी सर दर्द में आरामदायक होता है ।
जाने- कैसे करें अपने सही सरदर्द की पहचान ?
सिरदर्द का पंचगव्य उपचार
मुख्य लक्षण– सिर में दर्द होना | यह स्वतंत्र व्याधि भी है ओर कुछ व्याधियों का लक्षण मात्र भी |
मुख्य दोष– वात, पित्त, कफ
प्रभावित संस्थान– वातनाड़ी संस्थान
गौमूत्र की उपयोगिता– गौमूत्र मेधी है, इसलिए मस्तिष्कीय ज्ञान-तंतुओं को शक्ति देता है | दीपन ओर पाचन होने के कारण शरीर को बनाए रखता है | पित्त, तिक्त व उष्ण होने के कारण लाभ करके नाड़ी संस्थान तो ताक़त देने से सरदर्द को मिटाता है | नित्य गौमूत्र पीने से स्थाई रूप से सरदर्द नष्ट हो जाता है |
गौ-नस्य की उपयोगिता– देशी गाय के दूध के कण अत्यंत सूक्ष्म होने के कारण उसके घी से बना गौ-नस्य मस्तिष्क के अतिसूक्ष्म नाड़ीयों में जाकर अवरोध को दूर कर सरदर्द को मूल सहित उखाड़ फेंकता है |
[elfsight_popup id="2"]My content[elfsight_popup id="2"]मनीष भाई एक गौसेवक है | आपका एक ही लक्ष्य है, गौ सेवा के माध्यम से मानव सेवा… गौमाता के संरक्षण के लिए आपके कई प्रकल्प (जैसे- मेरी माँ) जयपुर में चल रहे है ओर अब ये स्वयं पंचगव्य चिकित्सा प्रशिक्षण देते है |
Sir mere shir me right side pain halki halki rahti h aur mere body me right side soldiers se lekar kamar aur pair dard karta h aur jalan hota
Reply →in reply to Bhim kumar yadav
Please call-99928087811
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