१) सदा एक भी दिनचर्या भी तनाव पैदा करती है । एकरसता से जीवन नीरस हो जाता है व लगातार एक ही स्थिति से तनाव होने लगता है इसलिए अपने जीवन में नवीनता लाएं । काम करने के तरीके में बदलाव लाएं । कुछ लीक से हटकर करें, आपको अच्छा लगेगा ।
२) आपकी एक प्यारी सी मुस्कान तनाव दूर भगा सकती है । हंसने से शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है ।
३) प्रसन्न होने पर संपूर्ण दुखों का अभाव हो जाता है तथा प्रसन्न चित्त मनुष्य की बुद्धि शीघ्र ही भलीभांति स्थिर हो जाती है । हंसने से मस्तिष्क का भावनात्मक केन्द्र प्रभावित होता है तथा न्यूरोकेमिकल संतुलन बना रहता है । अत: प्रन्नता ही तनाव दूर करने का सर्वोत्तम साधन है ।
४) तनावग्रस्त होते ही हम एकांतप्रिय हो जाते हैं । मन को सारे संपर्क सूत्रों से काट देते हैं नतीजन तनाव बढता ही जाता है । अत: किसी प्रिय तथा विश्वासपात्र के आगे अपको अपने मन का बोझ हल्का कर देना चाहिए । यदि ऐसा कोई पात्र न मिले तो आप ईश्वर से भी अपना दुख बांट सकते हैं ।
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५) जब मन चिंता व तनाव से घिर जाए और आपको कोई राह न सूझे तो अपने इष्टदेव का स्मरण करें । मानसिक जप व प्रार्थना से आपको आत्मविश्वास मिलेगा कि प्रभु संकट की हर घड़ी में आपके साथ हैं और अपको सहारा दे रहे हैं ।
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६) यदि आपका मन क्रोध से भरा हो तो थोड़ा ठहरें । फिर शारीरिक श्रम से मन का गुबार निकाल दे । यदि इस भावनात्मक तनाव को दबाने की कोशिश की जाए तो इसके बडे बुरे परिणाम सामने आते है इसलिए व्यायाम के माध्यम से मन हल्का कर लें |
७) जीवन परिवर्तन का ही दूसरा नाम है । इसमें बदलाव आते ही रहते है | यदि हम उन्हें पूरे उत्साह व उमंग से स्वीकारें तो वे हमारे लिए फायदेमंद ही होते है । इसलिए बदलाव की चुनौती को मुक्त मन से स्वीकारें ।
८) चिंता की बजाए चिंत्तन करें, समस्याओँ पर चिंता करने की बजाय सोच-विचार करें ताकि संभावित हल ढूँढा जा सके | इस विधि से आपकी समस्या क्षण भर में दूर हो जाएगी |
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९) अध्ययनों से पता चला है कि खाली दिमाग से भी तनाव पैदा होता है । इसलिए जब भी यह आपको यहाँ-वहाँ भटकाए इसे व्यस्त कर दें । मन को सार्वजनिक व रोचक कार्यों में लगाएँ । चूंकि मन एक समय में एक ही कार्यं कर सकता है इसलिए उसका ध्यान तनाव से हट जाएगा ।
१०) स्वयं को सकारात्मक सुझाव दें । नकारात्मक सोच आपके बने-बनाए कार्य बिगाड़ सकती है । नकारात्मक सुझावों से मन में एक ऐसा भयावह चित्र बनता है जो मन की सुख-शांति नष्ट कर देता है ।
११) आत्म सुझाव का अर्थ है कि आप मन को अपने अनुसार आचरण के लिए विवश कर दें । ऐसा तभी संभव है जब हमारी संकल्प शक्ति दृढ हो । अस्पष्ट शब्दों में दिए गए आत्म सुझाव, मन को प्रतिकूल परिस्थितियों में भी वश में कर लेते हैं ।
१२) तनाव दूर करने के लिए मानसिक चितंन का भी विशेष महत्त्व है । जब भी अवसर मिले तो आंखें मूंद कर कल्पना करें कि आप सुनहरे समुद्र तट पर हैं रंग-बिरंगे पुलों के बीच हैं या प्रिय पात्र के साथ घूम रहे हैं है
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१३) इसके अलावा आप कोई भी मनचाही कल्पना कर सकते हैं । आप अपने लिए जो सोचते हैं, वही पाते हैं तथा वही बनते हैं इसलिए सदा अपने लिए श्रेष्ठ की कामना करें और इससे निश्चित आप श्रेष्ठ पाएंगे |
१४) चंचल मन भटकता है । यह पल भर में कहीं का कहीं पहुंच जाता है । जब है यह भटकने लगे तो किसी एक स्थान पऱ इसे केंदित करने कर प्रयास करें । किसी भी वस्तु को उठाकर ध्यान से देखे, उसके हर पहलू पर गौर करें । मुंह में कुछ खाने की चीज डाल लें । कहने का तात्पर्य यह है कि नकारात्मक भाव मान में आते ही उन्हे रोकने का कोई ना कोई उपाय कर लें ताकि मन सकारात्मकता की ओर केंद्रित हो सके |
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१५) कई बार मानसिक द्वंद की स्थिति से भी तनाव पैदा होता है । व्यक्ति उपर से शांत दिखाई देता है लेकिन उसके भीतर निरंतर एक मानसिक संघर्ष छिड़ा रहता है | इसी ऊहापोह को स्थिति में कोई भी निर्णय लेना कठिन हो जाता है ।
१६) ऐसी अवस्था में किसी बुद्धिमान के परामर्श से विषय के पक्ष-विपक्ष में पर्याप्त विचार करके किसी एक विकल्प को अपनाना चाहिए ताकि मन शांति भाव से दूसरी और ध्यान लगा सके ।
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१७) आपकी सोच सकारात्मक होनी चाहिए । जब भी कोई परेशानी आए तो पूरे आत्मविश्वास से उसका सामना करें । अपने मन में यह आस्था बिठा लें कि आपका बुरा हो भी नहीं सकता । यदि कुछ बुरा हुआ भी तो आने वाले समय में उसमें उसकी कोई भलाई छिपी होगी । इसी आशावादिता के गुण को अपने जीवन का अभिन्न अंग बना लें । आपके मन और तनाव का दूर-दूर तक कोई नाता नहीं रहेगा ।
१८) यदि आपको कुछ ऐसा प्राप्त हो जो आनंद की बजाय दुख पहुंचाए, जिसके प्राप्त होने से आपके मन में नकारात्मक तथ्य जाएं तो अपको उस तथ्य से सबक लेना चाहिए और खुश होना चाहिए कि आपको अपनी त्रुटि सुधारने के लिए सीख मिली है ।
१९) यदि आप लाभ-हानि दोनों ही दशाओं में ईश्वर को धन्यवाद देकर अपना कार्य करते रहने में विश्वास करने लगते हैं तब मानसिक तनाव खुद खत्म हो जाता है । मानसिक तनाव राहत पाने का सबसे उत्तम साधन हैं निरंतर अपने समस्त कार्यों को ईश्वर को समर्पित कर दे । सुबह या शाम जब भी अपको समय मिले कुछ पल अलग बैठकर अपने कार्यकलाप को इष्ट देव को अर्पण करें ।
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२०) जीवन में प्रकृति प्रदत्त उपहारों, प्रेम, प्रशंसा, देखभाल, प्यार, स्नेह आदि का लेन-देन करते रहें । जिससे भी मिलें उसे हँसी-खुशी का उपहार देना ना भूलें । खिल-खिलाकर मुस्कुराने से पाचन शक्ति दुरुस्त रहती है जबकि चिंता तथा तनाव से पाचन शक्ति कमजोर होती है । हंसने है चेहरा बेहतर लगता है । जबकि क्रोध करने से मुखाकृति वीभत्स दिखाई देती है । रात्रि को जल्दी सोने व सुबह जल्दी उठने से चेहरा खिला हुआ एवं नेत्र रसीले बने रहते हैं । कोशिश करें कि आप एकदम चिंता से रहित रहें । क्योंकि हरदम तनावग्रस्त रहने से तमाम व्याधियां काया को जकड़ लेती है इसलिए सदैव प्रसन्न रहने का प्रयास करें ।
तनाव (सिरदर्द) का पंचगव्य उपचार
मुख्य लक्षण– सिर में दर्द होना | यह स्वतंत्र व्याधि भी है ओर कुछ व्याधियों का लक्षण मात्र भी |
मुख्य दोष– वात, पित्त, कफ
प्रभावित संस्थान– वातनाड़ी संस्थान
गौमूत्र की उपयोगिता– गौमूत्र मेधी है, इसलिए मस्तिष्कीय ज्ञान-तंतुओं को शक्ति देता है | दीपन ओर पाचन होने के कारण शरीर को बनाए रखता है | पित्त, तिक्त व उष्ण होने के कारण लाभ करके नाड़ी संस्थान तो ताक़त देने से सरदर्द को मिटाता है | नित्य गौमूत्र पीने से स्थाई रूप से सरदर्द नष्ट हो जाता है |
गौ-नस्य की उपयोगिता– देशी गाय के दूध के कण अत्यंत सूक्ष्म होने के कारण उसके घी से बना गौ-नस्य मस्तिष्क के अतिसूक्ष्म नाड़ीयों में जाकर अवरोध को दूर कर सरदर्द को मूल सहित उखाड़ फेंकता है |
[elfsight_popup id="2"]My content[elfsight_popup id="2"]मनीष भाई एक गौसेवक है | आपका एक ही लक्ष्य है, गौ सेवा के माध्यम से मानव सेवा… गौमाता के संरक्षण के लिए आपके कई प्रकल्प (जैसे- मेरी माँ) जयपुर में चल रहे है ओर अब ये स्वयं पंचगव्य चिकित्सा प्रशिक्षण देते है |