पंचगव्य से निर्मित औषधियों के सेवन से रोग दूर होते हैं ।
पंचगव्य से बने उत्पाद पूर्णतः रसायनमुक्त होने के कारण आरोग्यदायी होते हैं ।
गौ माता के शरीर से निरंतर सत्वकणों का प्रक्षेपण होता रहता है; इसलिए पंचगव्य से निर्मित औषधियां और उत्पाद सात्विक होते हैं । उनके प्रयोग से सात्विकता मिलती है ।
गोपालन के साथ-साथ उत्पादक बनाने से गोपालकों की आय बढ़ती है । गोमूत्र और गोमय (गोबर) का कुशलतापूर्वक उपयोग करने पर एक गाय से प्रतिवर्ष 300000 रुपए कमाए जा सकते हैं । इतनी आग कैसे होती है ? इसका विस्तार से विवेचन सनातन के ग्रंथ गो संवर्धन (जेविक कृषि और पंचगव्य चिकित्सा से लाभ) में किया है ।
स्वास्थ्य एवं धन की प्राप्ति होने के कारण गोपालन व्यवसाय को बढ़ावा मिलता है ।
समाज को गौमाता का महत्व ज्ञात होता है । इससे समाज में गौ माता के प्रति आस्था बढ़ती है ।गोपालको में जन जागरण किया जाए तो वह कसाइयों को गाय नहीं बेचेंगे । इससे गौरक्षा में सहायता होगी ।
पंचगव्य से बनी औषधियों तथा उत्पाद पूर्णतः स्वदेशी होते हैं इससे स्वदेशी को प्रोत्साहन मिलता है ।