- घटक पदार्थ एवं उनकी मात्रा
- सरसों का तेल 1 लीटर
- छोटी कलीके लहसुन 100 ग्राम
- निर्गुंडी 100 ग्राम
- हड़जोड़ वनस्पति 100 ग्राम
- गोमय रस 100 मिलीलीटर
- अमृतधारा अथवा निलगिरी तेल 10 मिलीलीटर
- बनाने की विधि
- लोहे की कड़ाही में सरसों का तेल लेकर दूल्हे पर तपाएं ।
- खलबत्ते में कुटे हुए लहसुन, निर्गुंडी और हड़जोड़ एक-एक कर इस तेल में मिलाते जाएं ।
- अंत में गोलय रस डालकर मन्द आंच पर तेल उबलने दें ।
- तेल से पानी का अंश पूर्णतः निकल जानेपर कडाही चूल्हे से उतार लें ।
- तेल से पानी का अंश पूर्णतः निकल गया है कि नहीं, यह जांचने के लिए आगे दिया परीक्षण करें ।
- तेल उबलते समय उसकी सतह पर बुलबुले आने बंद हो जाएं और झाग आने लगे, तब समीझए कि तेल बन गया है । ऐसे समय तेल में पानी की एक बूंद छोड़ने पर तड़तड़ की ध्वनि होने लगती है ।
- तेल के नीचे बैठे हुए घन पदार्थ को चम्मच में से निकालें । इसे ‘कल्क’ कहते हैं । इसे फूंक मारकर ठंडा करें और उंगलियों पर लेकर छोटी बत्ती बनाएं । इस बत्ती को जलाएं । बत्ती चट्- चट् की ध्वनी कीए बिना शांति से जले, तब समझे कि इसमें पानी नहीं है और आंच बंद करें । यदि बत्ती जलते समय आवाज आए, तो मंद आंच पर पानी पूर्णतः निकल जाने तक तेल उबलने दें ।
- इस तप्त तेल को स्टील की छन्नी से छान लें ।
- तेल ठंडा होने पर उसमें अमृतधारा अथवा नीलगिरी तेल मिलाकर बोतल में भरकर रख दें ।