घटक पदार्थ और उनकी मात्रा
- शरद पूर्णिमा की रात्रि में लिया हुआ गोमुत्र 100 मिलीलीटर
(शरद पूर्णिमा की रात में गौमूत्र लेकर, उस पात्र को सफेद कपड़े से ढक दें, जिससे उसमें कूडा आदी न पड़े । अब इस गोमूत्र को शरद पूर्णिमा की चांदनी में पूरी रात रख दें । दूसरे दिन यह गोमुत्र चीनीमिट्टी की स्वच्छ बरनी में बंद कर रख दें । इस गोमुत्र पर चंद्र और चांदनी का संस्कार होने से यह आंखों के लिए बहुत हितकारी है । बरनी में रखा हुआ यह गोमुत्र कभी दूषित नहीं होता । अतः नेत्रौषधी बनाने के लिए इसका उपयोग कभी भी किया जा सकता है । - उत्तम गुलाब जल 35 मिलीलीटर
- छोटी मधुमक्खियों की शुद्ध मधु 3.5 मिलीलीटर
बनाने की विधि
- शरद पूर्णिमा की रात में शुद्ध तांबे के पतीले में आधा पतीला खाली रख गोमुत्र लेकर, उसे लोहे की जाली वाले ढक्कन से ढककर मन्द आंच पर उबालें ।
- गोमूत्र तपने पर तांबे के सहयोग से बहुत झाग उठने लगता है ।
- गोमुत्र सुखकर जब 70% शेष रह जाए तब आंच बंद कर दें ।
- गोमुत्र थोडा समय उसी प्रकार रहने दें । इससे झाग समाप्त हो जाएगा ।
- इसके पश्चात स्वच्छ सूती कपड़े की चार परतें बनाकर उससे यह गोमुत्र छान लें और बरनी में रख दें ।
- अब इस गोमुत्र में इसका आधा, अर्थार्थ 50% गुलाबजल और 5% अर्थात 3.5 मिलीलीटर छोटी मधुमक्खियों की मधु छोडें और ठीक से मिलाकर एक जीव करें ।
- यह मिश्रण ड्रापर वाली शीशियों में भरकर रख दें ।