यह एक घरेलू औषधि है यह लेप चार-पांच दिन ही टिकता है । इसलिए आवश्यकता अनुसार लेप बनाकर उपयोग करते समय उसे पीड़ादायक भाग पर अथवा त्वचा के विकारी भाग पर लगाएं तथा उस भाग को धूप लगे, इस पद्धति से आधा घंटा धूप में बैठें अथवा गर्म पानी की थैली से सेंके ।
घटक पदार्थ और उनकी मात्रा
- नया गोमय (गोबर) 1 किलो
- काली मिट्टी अथवा बांबी की मिट्टी 100 ग्राम
- निर्गुंडी 50 ग्राम
- हडजोड़ 50 ग्राम
- एरंड तेल, सरसों का तेल अथवा तिल का तेल इनमें से कोई एक तेल 25 मिलीलीटर
- गोमूत्र आवश्यकतानुसार
बनाने की विधि
- मिट्टी बारीक छन्नी से छान लें ।
- निर्गुंडी के पत्ते और हाडजोड़ लकड़ी खलबत्ते में अलग-अलग बारीक कूट लें ।
- हड़जोड़ का कच्चा रस शरीर को लग जाए, तो खुजली होती है । अतः सावधानी बरतें ।
- गोमूत्र के अतिरिक्त उपर्युक्त सब घटक पदार्थ लोहे की कड़ाही में लेकर मंद आंच पर तपाएं और बड़े चम्मच से मिलाएं ।
- सर्व घटक पदार्थ एक जीव होने के लिए उसमें आवश्यकता अनुसार गोमुत्र छोडे । कड़ाही में बने लेप में एक उबाल आने पर कडाही चूल्हे से उतार लें और लेप को क़डछी से फेंट दें ।
- हडजोड वनस्पति का कच्च रस शरीर में लगाने पर खुजली हो सकती है परंतु पके हुए रस से खुजली नहीं होती । अतः हडजोड़ मिश्रित इस लेप से खुजली नहीं होगी ।