1 गऊमाता एवं उनके गव्यों का उद्भव।
2 मनुष्य जीवन और उसके उद्देश्य।
3 गऊमाता एवं गव्य पुराण।
4 गव्यों के प्रकार।
5 योगिक क्रिया मे गाय का महत्व।
6 गऊमाता के प्रकार।
7 विभिन्न प्रकार के गऊमाताओं के गव्यों के प्रकार।
8 गऊमाता एवं काऊ में अंतर।
9 गव्यों के संग्रह के लिए गऊमाताओं का प्रशिक्षण।
10 गव्यों के संग्रह के लिए ग्रह और उपग्रहों की स्थिति।
11 गव्यों का संग्रह कैसे करें।
12 गव्यों का रख – रखाव।
13 गव्यों में जलिय अंश की व्याख्या।
♦ दूध ♦ गौमूत्र ♦ गोबर (गोमय) ♦ मट्ठा ♦ घी
14 गव्यों में छारीय अंश की व्याख्या।
♦ दूध ♦ गौमूत्र ♦ गोबर (गोमय) ♦ मट्ठा
15 गव्यों के साथ जड़ी- बूटियों का मिश्रण।
16 गौमूत्र के वाष्पिकरण की विधियां।
17 गौमूत्र छार से विभिन्न प्रकार की घनवटियों का निर्माण।
18 8-10 प्रकार के नित्य काम मे आने वाले उत्पादों का निर्माण
19 पंचगव्य, पंचतत्व, त्रिदोष एवम् मानव शरीर का संबंध
20 विभिन्न रोगों मे काम में आने वाली पंचगव्य औषधियाँ
21 गाय का वैज्ञानिक महत्व, आभामंडल, प्रभावित क्षेत्र, गुण ओर अध्यात्मिक महत्व
22 गौमाता का अर्थशास्त्र
23 पंचगव्य उत्पाद कैसे ओर कहाँ बेचें ?
24 गौशाला वास्तु एवं निर्माण कला।
25 जैविक चारागाह प्रबंधन।
26 दूध संग्रह एवं प्रबंधन।
27 गौमूत्र संग्रह एवं प्रबंधन।
28 गोमय संग्रह एवं प्रबंधन।