कुछ ?झकझकिये? प्रतिदिन मेरे पास आते है और कहते है मनीष भाई आप तो गाय से ?व्यापार? कर रहे हो… उत्पाद का ज्यादा ले रहे हो, प्रशिक्षण का ले रहे हो…
फिर अपन भी तपाक से ठोक डालते है… क्यों भाई समस्या क्या है…?? क्या तुम्हारे बाप-दादा ने नही किया..??
कैसे…??
गाय पाली, उसका दूध काम मे लिया..?? गोबर काम में लिया…?? गौमूत्र से खाद बनाई की नही…?? फिर उपज को बाजार में देकर ही तो सब लिया…?? ओर खिलाया क्या गाय को…. गौचर..??
इस सबके मूल में क्या था..?? गाय..??
करोड़ो वर्षों से भारत की अर्थव्यवस्था का मूल गाय ही रही है । का समझे…??
साला तुम बोलता है गाय से कमाते हो…??
हप्पप्प साला….????
इसीलिए मैं कहता हूँ… ये हिन्दू मूर्ख है…इसे ये भी पता नही की ये युद्धभूमि में है, योजना और शक्ति संतुलन क्या खाक करेगा…???
अबे बुड़बक… इन अंग्रेजो ने सबसे पहले तुम्हारी संस्थाओं को दान पर आधारित बना दिया… दान लेने की छूट दी… बना दिया भिखारी… फिर गौचर खा गए… बना दिया लाचार..
अब तुम कटोरा लेकर भीख मांगो वो भी उस गाय के लिए जो 50 वर्ष पहले तक पूरे भारत की अर्थव्यवस्था चलाती थी…
अंग्रेजो तो पता है जब तक मूर्ख हिन्दू भीख मांगेगा… गाय कभी बच नही सकती..?? ओर जिस दिन पुनः गौ आधारित अर्थव्यवस्था हो गई तो गाय कोई ?️काट?️ नही सकता…
इसलिए कहता हूँ… गाय के को जिस काम के लिए भगवान ने भेजा है वो होने दो… तुम भगवान से ज्यादा होशियार हो का बे…??
कमाने-खाने दो इन ?बच्चों? को…. गाय से उत्पाद बनाने दो… ?महँगा? बेचने दो…
छोड़ दो इनका पीछा… इन्हें भी ?गाड़ी-?घोड़ा-?बंगले का अधिकार है ।
जागो हिन्दू… तुम ?रणभूमि? में हो… यहां शस्त्र भी तुम्हारे है और शिकार भी तुम्ही हो…
भीख नही….. पैसा ही गाय को बचाएगा… बचने दो इस गाय को???
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[elfsight_popup id="2"]My content[elfsight_popup id="2"]मनीष भाई एक गौसेवक है | आपका एक ही लक्ष्य है, गौ सेवा के माध्यम से मानव सेवा… गौमाता के संरक्षण के लिए आपके कई प्रकल्प (जैसे- मेरी माँ) जयपुर में चल रहे है ओर अब ये स्वयं पंचगव्य चिकित्सा प्रशिक्षण देते है |