गव्यशाला- ग़रीबों की पाठशाला… हमें गर्व है…
मैं बचपन से ही अपने जीवन मे बहुत सकारात्मकरहा हूँ ओर आत्मविश्वास तो ईश्वर ने कूट-२ कर भरा है | जब मैं पंचगव्य नया-२ सीख ही रहा था तो मैं अनेक गौशालाओं मे गया… सीखने-समझने का प्रयास किया | पर पता नही क्यो उस गौशाला से बाहर निकालकर अचानक मेरा सारा उत्साह समाप्त हो जाता
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