राजीव भाई ने के एक वीडियो में वो बता रहे थे की जब सब ही विदेशी कंपनियों की गुलामी में लगे रहेंगे तो देश और धर्म को क्या कोई बाहर से बचाने आएगा… आख़िर आपने देश के लिए क्या किया…?
तब मेरे मन में प्रश्न उठा… की मैने अपने देश और धर्म के लिए क्या किया… क्या मैने कोई प्रयास किया… क्या मुझे अपने किए पर गर्व है… ?
वो जीवन का पहला क्षण था जब मुझे लगा की क्या सच में मुझे भी देश के लिए कुछ करना चाहिए?
उसके बाद मैने निर्णय कर लिया की अब तक जो काम मैं विदेशी कंपनियों के लिए कर रहा था वो अब भारत भूमि के लिए करूंगा
और मैने निर्णय लिया कि जीवनयापन के लिए कोई ऐसा काम ढूंढा जाए जिससे जीवनपायन और सेवा दोनो हो सके |
परंतु क्या यह इतना सरल था… ?
बिल्कुल नही…
लेकिन इस क्षण ने मुझे अंदर तक झकझोर अवश्य दिया था… अंतर्मन तो निर्णय कर चुका था…
फिर आरंभ हुई एक यात्रा… जो आज अनेक पड़ाव पार करते हुए यहां गव्यशाला तक पहुंच गई…
इस लंबी यात्रा का विवरण आगे फिर कभी…
लेकिन आप अपने आप से पूछें… आपने देश और धर्म के लिए अभी तक क्या कुछ किया… जो कर रहे है उस पर गर्व तो है ना…?
[elfsight_popup id="2"]My content[elfsight_popup id="2"]मनीष भाई एक गौसेवक है | आपका एक ही लक्ष्य है, गौ सेवा के माध्यम से मानव सेवा… गौमाता के संरक्षण के लिए आपके कई प्रकल्प (जैसे- मेरी माँ) जयपुर में चल रहे है ओर अब ये स्वयं पंचगव्य चिकित्सा प्रशिक्षण देते है |