गोमूत्र से अर्क बनाने की प्रक्रिया पूर्ण होने के पश्चात अर्कयंत्र के बाष्पक में जो गाढा गोमूत्र शेष रहता है, उसे गोमूत्र क्षार कहते हैं । 7 लीटर गोमूत्र लेने पर साधारणतः 700 मिलीलीटर (10%) अमोनिया मिश्रित अर्क तथा 3.5 लीटर (40%) औषधि अर्क मिलता है । 700 मिलीलीटर (10%) गोमूत्र बाष्पक के रूप में उड जाता है। शेष 2.1 लीटर (30%) गोमूत्र क्षार शेष रहता है । यह गोमूत्र क्षार लोहे की कडाही में पकाने पर उस गोमुत्र का खोये के समान मावा बनता है । यह मावा ही ‘गोमुत्र घन’ है । कुछ क्षार के लगभग 20% (420 ग्राम) का गोमूत्र घन बनता है । इससे गेमुत्र घनवटी औषधि बनती है ।
विविध औषधि मिश्रित घनवटियां, उनका रोगों में उपयोग, उनमें गोमूत्र घन के अतिरिक्त अन्य घटक, उनके उपयुक्त अंग और प्रति 100 ग्राम घन में औषधि चूर्ण की मात्रा
घनवटि का संस्क्रत नाम | किन विकारों में उपयुक्त ? | घन के अतिरिक्त अन्य घटक | घटक का उपयुक्त अंग | प्रति 100 ग्राम घन में औषधि चूर्ण की मात्रा |
गोमूत्र भस्म घनवटि | सर्व विकार | गोमय भस्म | 25 ग्राम | |
गोमुत्र वर्धमान त्रिफला घनवटि | सर्व विकार | 1 भाग हरड, 2 भाग बहेडा, 3 भाग आंवला | फल के छिलके | 25 ग्राम |
गोमूत्र तुलसी घनवटि | सर्व विकार,विशेषतः कफ के विकार | तुलसी
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पत्ते | 10 ग्राम |
गोमूत्र कालमेघ घनवटि | ज्वर और संक्रामक रोग | कालमेघ | जड़ सहित सम्पूर्ण वनस्पति | 10 ग्राम |
गोमूत्र मुलेठी घनवटि | खांसी | मुलेठी | जड़ और तना | 25 ग्राम |
गोमूत्र अर्जुन घनवटि
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हृदय विकार | अर्जुन | छिलका | 25 ग्राम |
गोमुत्र सर्पगंधा घनवटि | उच्च अथवा अल्प रक्तचाप, तथा किसी भी प्रकार का कर्क रोग | सर्पगंधा | जड़ | 10 ग्राम |
गोमूत्र सप्तरंगी घनवटि | मधुमेह | सप्तरंगी | जड़ | 25 ग्राम |
गोमूत्र पाषाणभेद घनवटि | पित्ताशय अथवा मूत्रवहन संस्था की पथरी | पाषाणभेद | जड़ | 25 ग्राम |
गोमुत्र पुनर्नवा घनवटि | यकृत और मूत्रवहन संस्था के विकार | पुनर्नवा | जड़ | 25 ग्राम |
गोमूत्र मंजिष्ठा घनवटि | त्वचा और पित्त से सम्बन्धित विकार | मंजिष्ठा | जड़ | 10 ग्राम |
गोमूत्र श्वेत कुष्ठ नाशक घनवटि | सफेद कोढ | बावची | बीज | 25 ग्राम |
गोमूत्र गुडूची घनवटि | रोग प्रतिरोधी शक्ति की न्यूनता | गिलोय | बेल का टुकडा | 25 ग्राम |
घटक पदार्थ और उनकी मात्रा
- गोमूत्र क्षार : आधा लीटर
- औषधि चूर्ण : इसकी मात्रा उक्त सारणी में दी गई है
बनाने की विधि
- घनवटी बनाने के लिए जिस वनस्पति का चूर्ण आवश्यक हो, उस वनस्पति का उपयुक्त अंग पर्याप्त मात्रा में लेकर छाया में योग्य प्रकार से सुखाएं ।
- वनस्पति के टुकडे बड़े हों तो खलबत्ते में कूटकर उन्हें बारीक करें ।
- तत्पश्चात उनका मिक्सर में कपडछंद (कपड़े से छान हुआ) चूर्ण बनाएं ।
- आधा लीटर गोमूत्र क्षार से लगभग 100 ग्राम घन बनता है । पर्ति 100 ग्राम घन में डाली जाने वाली औषधि चूर्ण की मात्रा उक्त सारणी में दी गई है उनका चूर्ण अलग निकालकर रखें ।
- लोहे की कड़ाही में गौमूत्र क्षार धीमी आंच पर पकाएं ।
- वह खोए के समान गाढा होने पर अर्थात घन बनने पर कडाही आंच से नीचे उतारकर रखें । इस घन को जलने न दें । इस हेतु सावधानी बरतें ।
- गरम घन में सारणी में दी गई मात्रा में औषधि चूर्ण डालकर मिलाएं और मिश्रण एकरूप करें । घन ठंडा होने पर उसे परात में निकालकर आटे के समान गोद लें । उसकी 200 मिलीग्राम की (मटर के दाने के आकार की) गोलियां बनाएं ।
- घनवटी बनाने के लिए जिस चूर्ण का उपयोग किया गया हो, वही चूर्ण परात में फैला कर उस में घनवटीयां रखकर धूप में सुखाएं ।
- इससे घनवटीयों में विधमान अतिरिक्त जल का अंश चूर्ण में आता है और घनवटीयां उचित प्रकार से सुख जाती हैं ।
- घनवटीयां वव्यवस्थित सूखने पर वायु रोधक डिब्बे में भरकर रखें ।