ऐसे भोजन में हम भोजन, पानी इत्यादि के अनेक प्राकृतिक नियमों का उल्लंघन करते हैं परिणाम स्वरुप हमारे आरोग्य का नाश होता है उदाहरणार्थ
१) भोजन के प्राकृतिक नियम अनुसार रात्रि का भोजन सूर्यास्त के पहले कर लेना चाहिए लेकिन प्रायः विवाह समारोह का भोजन रात्रि में 8:00 बजे के बाद ही परोसा जाता है |
२) भोजन का आरंभ कोला जैसे ठंडे पेय देकर की जाती है जो स्वयं में ही एक विष है व ठंडा होने के कारण जठराग्नि को मंद कर देता है | दूसरे इन पेयों के साथ स्टार्टर के रूप में तले हुए पकौड़े, मछली, चिकन इत्यादि परोसे जाते हैं जो पचने में कठिन होते हैं |
३) भोजन अक्सर रिफाइंड तेल में ही पकाया जाता है जो आरोग्य के लिए अत्यंत हानिकारक है |
४) भोजन में रिफाइंड नमक का प्रयोग किया जाता है जो आरोग्य का विनाशकारी है |
५) विवाह समारोहों में भोजन एल्युमीनियम के बर्तन में पकाया जाता है जो कि विष तुल्य है |
६) भोजन में 70 डिग्री सेंटीग्रेड का सूप परोसा जाता है वह उसी भोजन में 4 डिग्री सेंटीग्रेड की आइसक्रीम भी परोसी जाती है जब कि पेट भोजन को 37 डिग्री सेंटीग्रेड पर ही ठीक से पचा सकता है | विवाह समारोह में दिए गए भोजन में जीरो डिग्री सेंटीग्रेट की आइसक्रीम, 60 से 70 डिग्री वाले सूप व 40 से 50 डिग्री वाले रोटी, चावल, दाल, सब्जियां भी होती है | भगवान ने मनुष्य के पेट व सारे शरीर का तापमान 37 डिग्री सेंटीग्रेट रखा है | भोजन को उत्तम प्रकार से पचने के लिए 37 डिग्री सेंटीग्रेड का तापमान सर्वोत्तम है | जब हम एक ही भोजन के अंतर्गत कभी जीरो डिग्री वाली आइसक्रीम कभी 40 से 50 डिग्री वाले रोटी, चावल, दाल, सब्जी व कभी 70 डिग्री वाले सूप का सेवन करते हैं तो हमारी पचन क्रिया अवश्य ही बिगड़ती है | और यही अनेक बीमारियों के जन्म का कारण बनता है | हमें पूर्ण विश्वास है कि विवाह समारोह में पेट भर भोजन करने के बाद भी किसी भी मनुष्य को वह तृप्ति नही मिलती जो घर के साधारण भोजन से मिलती है |
७) भोजन में विविध प्रकार के मिक्स सलाद, मिक्स फल, मिक्स पकी हुई दाल इत्यादि परोसे जाते हैं व इन सभी को पचाने के लिए अलग-अलग पाचकरस, अलग-अलग तापमान व अलग-अलग पचने का समय लगता है | जब तक सभी भोज्य पदार्थ पेट के अंदर पच ना जाए तब तक पेट उन्हें आगे के पचन के लिए नहीं भेजता | परिणामस्वरुप जो पदार्थ जल्दी पच जाते हैं वे आखिरी भोज्य पदार्थ के पचने के समय तक सड़ते रहते हैं व बीमारी का कारण बनते हैं | ऐसे भोजन में भोजन के विविध पदार्थों को पूर्णतया पचने के लिए 45 मिनट से लेकर 6 घंटे तक का समय लगता है | जैसे सलाद केवल 45 मिनट में पच जाती है | साधारण दाल, चावल, रोटी इत्यादि 4 घंटे में पच जाते हैं | व ज्यादा तली हुई या चर्बीयुक्त चीजें जैसे चीज, बर्गर, पिज्जा इत्यादि 6 घंटे तक में भी नहीं पच पाते | जिस पल तली हुई या चर्बीयुक्त चीजे हमारे पेट में पहुंचती है उसी पल हार्मोन हमारे रक्त में छोड़ा जाता है जो पेट के पहुंचने के तुरंत बाद गैस्ट्रिक एंप्टीयिंग क्रिया को बहुत धीमी कर देता है | परिणाम स्वरुप 45 मिनट में पचा हुआ भोजन 45 मिनट से लेकर जब तक अन्य भोजन पूर्णता ना पच जाए तब तक पेट में ही रहकर सड़ता रहता है | भोजन पचे या न पचे पेट भोजन को ज्यादा से ज्यादा 6 घंटे के बाद छोटी आँत में धकेल देता है | उपरोक्त यही सब मिलकर अनेक गंभीर स्वरूप की बीमारियों के जन्म का कारण बनते हैं | इसलिए भारतीय पारंपरिक भोजन जैसे दाल, चावल, रोटी, सब्जी, चटनी, दही मिला हुआ कचूमर ही आरोग्य के लिए सर्वोत्तम है जो किसी भी ऋतु में खाने पर रक्त की अम्लता को बिल्कुल भी नहीं बिगड़ने देता व इसी कारण किसी भी रोग को जन्म नहीं देता |
८) विवाह समारोह में हम भोजन का सेवन खड़े होकर करते हैं और जूता मोजा पहनकर करते हैं जोकि आरोग्य के लिए हानिकारक है |