आगे दी गई 10 विशिष्ट वनस्पतियों के पत्ते, गोमूत्र, गोमय और जल में सडाकर बनाए गए को ‘दशपर्णी अर्क’ कहते हैं ।
उपयोग : दशपर्णी अर्क उत्तम जैविक किटनाशक है
आवश्यक सामग्री : 250 से 200 लीटर क्षमता वाली प्लास्टिक की टंकी, पत्ते पीसने के लिए सिलबट्टा, मिश्रण खोलने के लिए डण्डा, अर्क छानने के लिए कपड़ा अथवा छन्नी ।
घटक पदार्थ और उनकी मात्रा
- जल : 100 लीटर
- गोमूत्र : 5 लीटर
- गोमय (गोबर) : 3 किलोग्राम
- हरी मिर्च : 2 किलोग्राम
- लहसुन : 250 ग्राम
- नीम : 5 किलोग्राम
- आगे दी गई 9 अथवा जितनी उपलब्ध हों, उतनी वनस्पतियों के पत्ते प्रति वनस्पति 2 किलोग्राम : करंज, सीताफल, सफेद धतूरा, मोगली एरंड (चंद्र ज्योति), राईमुनिया, निर्गुंडी, देसी पपीता, गुडूची, मदार, लाल कनेर, काजरा, जंगली तुलसी, तंबाकू, द्रोणपुष्पी, बेल एवं आम ।
यदि आपके क्षेत्र में ये वनस्पतियां उपलब्ध न हों, तो बकरियां अथवा जानवर जानवर वनस्पतियों के पत्ते नहीं खाते, अथवा जिनकी गंध अथवा स्वाद तीव्र हो, जिनका रस अथवा उनमें से निकलने वाला चिपचिपा द्रव तीखा हो, विशेषतः जिनका द्रव दूध जैसा हो, ऐसी किसी भी वनस्पति का उपयोग इस अर्क के लिए किया जा सकता है ।
बनाने की विधि
- प्लास्टिक की टंकी को दिन भर के लिए छाया में रखकर उसमें 100 लीटर जल भरें ।
- उसमें गोमूत्र एवं गोलय मिलाकर एक रूप मिश्रण बनाएं ।
- हरी मिर्च और लहसुन एकत्रित कूटकर इस मिश्रण में मिलाएं । 10 वनस्पतियों के पत्ते सिलपर पीसकर उनकी चटनी बनाएं तथा इस मिश्रण में मिलाएं । वनस्पति के पत्ते यंत्र में न पीसें ।
- यह मिश्रण डंडे की सहायता से घोल लें ।
- टंकी का मुंह बोरे से बांध कर रखें ।
- यह मिश्रण 40 दिन तक सडने दें ।
- इन 40 दिनों में मिश्रण की वायु निकलने के लिए प्रतिदिन सुबह-शाम इस मिश्रण को घड़ी की सुई की दिशा तथा विरुद्ध दिशा में डंडे से अच्छे से हिलाएं ।
- 40 दिन उपरांत इस अर्क को छान लें ।
- छह माह तक इस अर्क का उपयोग किया जा सकता है ।
उपयोग करने की विधि
एक एकड कृषि के लिए 5 लीटर अर्क 200 लीटर जल में मिलाकर छिडंके ।