प्रथम शिविर (पाँच दिनों का)
1 गऊमाता एवं उनके गव्यों का उद्भव।
2 मनुष्य जीवन और उसके उद्देश्य।
3 गऊमाता एवं गव्य पुराण।
4 गव्यों के प्रकार।
5 योगिक क्रिया मे गाय का महत्व।
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दितीय शिविर (पाँच दिनों का)
6 गऊमाता के प्रकार।
7 विभिन्न प्रकार के गऊमाताओं के गव्यों के प्रकार।
8 गऊमाता एवं काऊ में अंतर।
9 गव्यों के संग्रह के लिए गऊमाताओं का प्रशिक्षण।
10 गव्यों के संग्रह के लिए ग्रह और उपग्रहों की स्थिति।
तृतीय शिविर (सात दिनों का)
11 श्रेष्ठ गव्य संग्रह के लिए गऊमाता को जैविक चारा।
12 गऊमाता के शरीर में ऊर्जा संग्रह का विज्ञान।
प्रथम शिविर (चार दिनों का)
1 गव्यों का संग्रह कैसे करें।
2 गव्यों का रख – रखाव।
3 गव्यों में जलिय अंश की व्याख्या।
♦ दूध ♦ गौमूत्र ♦ गोबर (गोमय) ♦ मट्ठा ♦ घी
4 गव्यों में छारीय अंश की व्याख्या।
♦ दूध ♦ गौमूत्र ♦ गोबर (गोमय) ♦ मट्ठा
दितीय शिविर (पाँच दिनों का)
5 गव्यों के साथ जड़ी- बूटियों का मिश्रण।
6 गौमूत्र के वाष्पिकरण की विधियां।
7 गौमूत्र छार से विभिन्न प्रकार की घनवटियों का निर्माण।
8 गौमूत्र छार से मलहम का निर्माण।
यह भी जाने- क्यो करें पंचगव्य डिप्लोमा ?
तृतीय शिविर (सात दिनों का)
9 अम्लिय विधि से गौमूत्र औषध का निर्माण।
10 छिड़कने योग्य पंचगव्य औषध का निर्माण।
11 चूर्ण रूप में पंचगव्य औषध का निर्माण।
प्रथम शिविर (पाँच दिनों का)
1 मानव शरीर रचना विज्ञान।
2 मानव शरीर क्रिया विज्ञान।
3 मानव शरीर में रोगों की पहचान।
दितीय शिविर (पाँच दिनों का)
4 नाडी विज्ञान का परिचय।
5 नाडी विज्ञान में अभ्यास।
6 नाभि विज्ञान का परिचय।
7 नाभि विज्ञान में अभ्यास।
8 शाकाहार जीवन की श्रेष्ठता।
यह भी जाने- कब आरंभ होगा मास्टर डिप्लोमा इन पंचगव्य थेरेपी का आगामी सत्र
तृतीय शिविर (सात दिनों का)
9 कफ रोगों के लिए पंचगव्य।
10 पित्त रोगों के लिए पंचगव्य।
11 वात्त रोगों के लिए पंचगव्य।
12 संक्रामक रोगों की चिकित्सा।
13 नर-नारी प्रजनन तंत्र के रोग और पंचगव्य से उपचार।
14 बच्चों के रोगों के लिए पंचगव्य।
15 पंचगव्य दिनचर्या के उत्पाद एवं सौंदर्य प्रसाधन।
16 परिमितिये चिकित्सा
प्रथम शिविर (पाँच दिनों का)
1 गौशाला वास्तु एवं निर्माण कला।
2 जैविक चारागाह प्रबंधन।
3 दूध संग्रह एवं प्रबंधन।
4 गौमूत्र संग्रह एवं प्रबंधन।
5 गोमय संग्रह एवं प्रबंधन।
दितीय शिविर (पाँच दिनों का)
6 गऊमाता की चिकित्सा।
7 लघु गौशालाओं का प्रबंधन।
8 मध्यम गौशालाओं का प्रबंधन।
9 वृहद गौशालाओं का प्रबंधन।
10 जैविक चारा संग्रह तकनीक।
11 जैविक चारा उत्पादन तकनीक।
12 जैविक खाद का निर्माण एवं प्रबंधन।
13 जैविक कीट खदेडक निर्माण एवं प्रबंधन।
यह भी जाने- पंचगव्य पाठ्यक्रम में पंजीकरण के लिए नामांकन फॉर्म
तृतीय शिविर (सात दिनों का)
14 पंचगव्य उत्पादों की पैकेजिंग।
15 गौसेवक एवं गौशाला कार्यालय का प्रबंधन।
16 गौशाला अभिलेख रक्षण।
1 पंचगव्य परिचय (विषय संख्या 1)
थ्योरी 100 अंक + प्रैक्टिकल 100 अंक = 200 अंक
प्रैक्टिकल 100 अंक = 40(रिकार्ड बुक) +40(प्रायोगिक परीक्षा) +20 (पंचगव्य प्रशिक्षण केन्द्रों पर गोसेवा कार्य)
2 पंचगव्य का औषध के रूप में निर्माण (विषय संख्या 2)
थ्योरी 100 अंक + प्रैक्टिकल 100 अंक = 200 अंक
प्रैक्टिकल 100 अंक = 40(औषध के नमूने) +40(प्रायोगिक परीक्षा) +20 (अपने घर की गोमाता की सेवा)
3 पंचगव्य का औषधिये उपयोग (विषय संख्या 3)
थ्योरी 100 अंक + प्रैक्टिकल 100 अंक = 200 अंक
प्रैक्टिकल 100 अंक = 40(महासम्मेलन में उपस्तिथि) +40(प्रायोगिक परीक्षा) +20 (अपने जिले की गोशाला में सेवा कार्य)
4 गौशाला रख-रखाव, प्रबंधन एवं शोध (विषय संख्या 4)
थ्योरी 100 अंक + प्रैक्टिकल 100 अंक = 200 अंक
प्रैक्टिकल 100 अंक = 40(मोखिक प्रश्न) +40(प्रायोगिक परीक्षा) +20 (मंथन में सेवा कार्य)
नोट – उतीर्ण होने के लिए आवश्यक अंक 50 प्रतिशत