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69 वर्ष के वृद्ध ने कैसे आरंभ किया पंचगव्य व्यापार ?

Ramesh-Kakaरमेश चंद्र देसाई, नवसारी, गुजरात

मेरी आयु 69 वर्ष है ओर मैं एक रिटायर्ड व्यक्ति हूँ जो अपने बच्चों पर निर्भर नही रहना चाहता था | बहुत दिनो से कुछ ऐसा ढूँढ रहा था की जिससे सेवा भी हो जाए ओर जीवनयापन भी हो सके |

एक दिन इंटरनेट पर गौमाता के विषय पर कुछ ढूंढ रहा था की अचानक गव्यशाला की वेबसाइट पर जाना हुआ | वेबसाइट पर मुझे 9 सूत्र की पुस्तक एवं कुछ वीडियो मिले | 9 सूत्र की पुस्तक पढ़ने के पश्चात मन में भाव जगा की मनीष भाई से मिलना ही है | मनीष भाई को फोन लगाया तो पता चला की वे सूरत मे ही व्याख्यान ले रहे है | तुरंत तैयार हो सूरत पहुंचा |

1 घंटे हुई चर्चा में ही निर्णय कर लिया की अगले माह गव्यशाला के पंचगव्य प्रशिक्षण शिविर मे जाना ही है | बड़ी कठिनाई से धनराशि एकत्रित की एवम् जुलाई माह में प्रशिक्षण प्राप्त किया | सबसे पहले तो गव्यशाला में घुसते ही हरे-भरे पहाड़ देख कर मन आनंदित हो गया | 5 दिवस का प्रशिक्षण…. बताया कम सीखया अधिक…. वहाँ इतना कुछ सीख कर भरोसा हो गया की मैं जाते ही जीवनयापन करने में सक्षम हो जाउंगा | आप मेरा वीडियो यहां देख सकते है

घर पहुंचकर सबसे पहले एक मित्र के खेत पर, जहां गाय थी, उससे बात की | एक कमरा वहाँ था ही…. बस ओर क्या चाहिए था ? मैं औषधि बनाने के लिए तैयार हो गया | पर तब समझ मे आया की अर्कयंत्र के बिना तो कुछ भी बनाना संभव नही है | तुरंत मनीष भाई को फ़ोन करके अर्कयंत्र मँगवाया, वे स्वयं मेरे यहां अर्कयंत्र लगाने आए, वहाँ 2 व्याख्यान भी दिए |

अब मेरा काम आरंभ हो गया | अर्क बनाया तो लेने वाले पूछने लगे क्योंकि व्याख्यान मे वे गौमूत्र की उपयोगिता समझ चुके थे | अभी मेरे पास कई रोगी आ रहे है जबकि मैं बहुत कम औषधि तैयार कर पाया हूं |

नीचे चित्र मे शिविर के साथी, व्याख्यान के समय कुछ विश्राम के क्षण एवम् अर्कयंत्र की स्थापना के पश्चात हमारी प्रसन्न टीम…

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रमेश चंद्र देसाई
नवसारी, गुजरात

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