क्यों कहते है गौमूत्र को पृथ्वी पर सर्वश्रेष्ठ मूत्र ?
आयुर्वेद, ऋग्वेद के उपवेद के रूप में मानव-चिकित्सा के लिए वर्णन किया गया ज्ञान है- ‘आयुर्वेदो धनुर्वेदो गान्धवर्श्र्चेति ते त्रय:| स्थापत्यवेदमपरमुपवेदश्चतुर्विध: ||’ वेद अनादि, शाश्वत है | इसलिए आयुर्वेद मानव-जीवन के साथ ही चला आ रहा है | आज तक इसका ज्ञान शाश्वत, आधोपदेश है | तपस्वी महर्षियों द्वारा इस वेदज्ञान को संवर्धित किया गया
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