3 दिवसीय पंचगव्य प्रशिक्षण शिविर का सरल सा अर्थ है एडवांस डिप्लोमा इन पंचगव्य पाठ्यक्रम का छोटा स्वरूप | छोटा स्वरूप इसलिए की इसमें हम केवल 3 दिवस मे ही छात्र को लगभग 40 से 50 प्रकार की औषधियाँ ओर नित्य घरेलू काम मे आने वाले उत्पाद बनाना सीखाते है | इस प्रशिक्षण को लेकर व्यक्ति गौमाता के पंचगव्य से अपने घर बैठ कर ही उत्पाद एवम् आरोग्यदायक अर्क ओर घनवटी निर्माण कर सकता है | जिससे की वह स्वयं अपने ग्राम ओर नगर में ही 25000 से 50000 मासिक कमाने मे सक्षम हो सकेगा एवम् गौसेवा के साथ-२ सम्मानपूर्वक जीवनयापन कर सकेगा |
क्यो करें 3 दिवसीय पंचगव्य प्रशिक्षण शिविर ?
कारण १. आर्थिक स्वावलंबन के लिए… आपको पता होगा की बचपन में हमें पढ़ाया गया है की भारत एक कृषि प्रधान देश है एवम् भारत की अर्थव्यवस्था इसी पर निर्भर है | कृषि का आधार है भारतीय देशी गाय… यदि इसका सीधा सा अर्थ निकाला जाए तो यह कहा जा सकता है की भारत की अर्थव्यवस्था युगो-युगो से कृषि पर आधारित रही है ओर इसी कारण भारत को सोने की चिड़िया कहा जाता था |
इससे स्पष्ट हो जाता है की भारत का प्रत्येक नागरिक गौमाता के कारण इतना खुशहाल ओर निरोगी था | आज वही भारत पुन: बनाने की आवश्यकता है | पंचगव्य उत्पाद निर्माण करके आप सम्मानजनक धनोपार्जन कर सकते है |
कारण २. स्वावलंबी जीवन के लिए… आज भारत अंतरराष्ट्रीय कंपनियों के मकडजाल मे उलझा हुआ है… बड़े-२ महानगरों मे रहने वाले नागरिक त्रस्त है… ओर कंपनियों के अनुसार या कहें की उनकी दया पर जीवन जीने को बाध्य है… जहाँ देखा जाए तो वे ना स्वस्थ रह पा रहे है ना की कुछ धन संचित कर पा रहे है… अत: वे पुन: अपने गाँव जाने को छटपटा रहे है | यदि हम गाय को पुन: अपने घर मे ले आए तो इन कंपनियों की गुलामी से मुक्ति पाकर स्वावलंबन को प्राप्त किया जा सकता है |
कारण ३. आरोग्य के लिए… महानगरों मे जाकर ओर पश्चिमी सभ्यता को अपना कर जो भारी दुख हम भोग रहे है उसका एक ही निदान है… वो है भारतीय देशी गाय… इससे जो पंचगव्य हमें प्राप्त होते है वे सहज ही हमें स्वस्थ रखने मे पूर्णतया सक्षम है | गाय हमें विदेशी डॉक्टर की लूट से बचाकर निरोगी जीवन दे सकती है |
कारण ४. सदाचार से जीवन जीने के लिए… आज ऐसा कोई व्यवसाय नही जिसमें हमें झूठ नही बोलना पड़ता हो… इस विदेशी संस्कृति ने संपूर्ण भारतवर्ष को छली, कपटी, भ्रष्ट्राचारी ओर झूठा बना डाला है… जबकि गैया मैया की शरण मे हम सात्विक ओर सदाचार के साथ अपना जीवन निर्वहन कर सकते है |
कारण ५. शुद्धता के लिए… आज बाज़ार मे चारों ओर मिलावट भारी पड़ी है… गौमाता हमें इससे मुक्ति दिला सकती है |
कारण ६. गौरक्षा के लिए… आज भारत मे गौ की दशा बड़ी हृदयविदारक है… पंचगव्य के माध्यम से हम कुछ गाय बचाकर गौ को कसाईखाने जाने से बचा सकते है |
कारण ७. देश ओर धर्म की रक्षा के लिए… गाय की रक्षा से कुछ मात्रा में धर्म की रक्षा तो होगी ही पर राष्ट्र की बहुत बड़ी सेवा हो जाएगी | आज एलोपेथी के माध्यम से खरबों रुपया विदेशी मुद्रा के रूप मे बाहर जा रहा है… जिसके कारण भारतीय मुद्रा का अवमूल्यन होता है… ओर राष्ट्र की बहुत बड़ी हानि होती है | पंचगव्य के माध्यम से चिकित्सा कर हम इस पर बड़ी मात्रा में रोक लगा सकते है |
3 दिवसीय पंचगव्य प्रशिक्षण शिविर के विषय
1 गऊमाता एवं उनके गव्यों का उद्भव।
2 मनुष्य जीवन और उसके उद्देश्य।
3 गऊमाता एवं गव्य पुराण।
4 गव्यों के प्रकार।
5 योगिक क्रिया मे गाय का महत्व।
6 गऊमाता के प्रकार।
7 विभिन्न प्रकार के गऊमाताओं के गव्यों के प्रकार।
8 गऊमाता एवं काऊ में अंतर।
9 गव्यों के संग्रह के लिए गऊमाताओं का प्रशिक्षण।
10 गव्यों के संग्रह के लिए ग्रह और उपग्रहों की स्थिति।
11 गव्यों का संग्रह कैसे करें।
12 गव्यों का रख – रखाव।
13 गव्यों में जलिय अंश की व्याख्या।
♦ दूध ♦ गौमूत्र ♦ गोबर (गोमय) ♦ मट्ठा ♦ घी
14 गव्यों में छारीय अंश की व्याख्या।
♦ दूध ♦ गौमूत्र ♦ गोबर (गोमय) ♦ मट्ठा
15 गव्यों के साथ जड़ी- बूटियों का मिश्रण।
16 गौमूत्र के वाष्पिकरण की विधियां।
17 गौमूत्र छार से विभिन्न प्रकार की घनवटियों का निर्माण।
18 8-10 प्रकार के नित्य काम मे आने वाले उत्पादों का निर्माण
19 पंचगव्य, पंचतत्व, त्रिदोष एवम् मानव शरीर का संबंध
20 विभिन्न रोगों मे काम में आने वाली पंचगव्य औषधियाँ
21 गाय का वैज्ञानिक महत्व, आभामंडल, प्रभावित क्षेत्र, गुण ओर अध्यात्मिक महत्व
22 गौमाता का अर्थशास्त्र
23 पंचगव्य उत्पाद कैसे ओर कहाँ बेचें ?
24 गौशाला वास्तु एवं निर्माण कला।
25 जैविक चारागाह प्रबंधन।
26 दूध संग्रह एवं प्रबंधन।
27 गौमूत्र संग्रह एवं प्रबंधन।
28 गोमय संग्रह एवं प्रबंधन।