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क्या है एडवांस डिप्लोमा इन पंचगव्य ?

आज बहुत से लोगो का प्रश्न है की ये पंचगव्य में एडवांस डिप्लोमा क्या होता है, इसका बड़ा सरल सा उत्तर है भारत सेवक समाज की ओर से पंचगव्य चिकित्सा में वैकल्पिक चिकित्सा पद्द्ति के अंतर्गत आरंभ किया गया पाठ्यक्रम जिसका लक्ष्य है भारत मे गौमाता का संरक्षण, संवर्धन एवम् वैज्ञानिक शोध को बढ़ावा देना | अधिक जानकारी के लिए यहाँ क्लिक करें

पंचगव्य पाठ्यक्रम मे गौमाता से प्राप्त गव्यो से लगभग 80 प्रकार की औषधियों का निर्माण एवम् चिकित्सा सिखाई जाती है, जिसमें नाड़ी विज्ञान एवम् मानव शरीर संरचना अंतर्भूत है | इसी के साथ इसमें गौशाला प्रबंधन, निर्माण एवम् गौमाता की चिकित्सा को भी जोड़ा गया है | सरल शब्दों मे कहा जाए तो गौमाता की सेवा के साथ गव्यर्षि बनकर निर्वहन…

अब आप सोच रहे होंगे की इस पाठ्यक्रम को करने के क्या लाभ है..? तो आप यह जान लें की इस पाठ्यक्रम को पूर्ण करने के पश्चात आप गव्यर्षि बनकर गौमाता के गव्यो से विभिन्न प्रकार की औषधियों का निर्माण एवम् स्वास्थ्य परामर्श कर अपने ग्राम एवम् भूमि पर ही अपना जीवनयापन कर सकते है |

जीवनयापन का अर्थ किसी की दया पर नही… बल्कि समाज मे सम्मानपूर्वक गव्यर्षि के रूप मे जीवन का निर्वहन | निर्वहन इस प्रकार का जिससे आपमे प्रतिमाह 25000 से 200000 रुपया कमाने का सामर्थ्य प्राप्त होगा | निर्वहन ऐसा जो अंतराष्ट्रीय कंपनियों की भाँति झूंठ, छल ओर कपट पर नही बल्कि सत्य पर आधारित होगा | ऐसा निर्वहन जिससे आपके मन को शांति प्राप्त होगी | निर्वहन ऐसा जिससे आपको गौसेवा का पुण्य प्राप्त होगा | ऐसा निर्वहन जिससे आप आपको अपने ग्राम से विस्थापित नही होना पड़ेगा अपितु आप अपने माता-पिता की सेवा अपने स्थान पर रहकर ही कर पाएँगे | ऐसा निर्वहन जिससे आप एलोपेथ के माध्यम से खरबों रुपये के रूप मे बाहर जाती मुद्रा को रोक सकेंगे, मुद्रा का अवमूल्यन रुकेगा, मूल्य बढ़ेगा… जब मूल्य बढ़ेगा तो भारत आगे बढ़ेगा…. ओर जब भारत बढ़ेगा तो ही हम पुन: सोने की चिड़िया या कहें विश्वगुरु बनने की ओर अग्रसर हो सकेंगे |

तो आपने देखा… ऐसा है एडवांस डिप्लोमा इन पंचगव्य का पाठ्यक्रम… यदि आपके मन मे इस पाठ्यक्रम से संबंधित कुछ प्रश्न रह गए हो तो आप संपर्क पेज पर जाकर फॉर्म भर सकते है | हम आपसे शीध्र संपर्क करेंगे |

यह भी जाने- पंचगव्य पाठ्यक्रम में पढ़ाए जाने वाले विषय

क्यो करें एडवांस डिप्लोमा इन पंचगव्य  ?

कारण १. आर्थिक स्वावलंबन के लिए… आपको पता होगा की बचपन में हमें पढ़ाया गया है की भारत एक कृषि प्रधान देश है एवम् भारत की अर्थव्यवस्था इसी पर निर्भर है | कृषि का आधार है भारतीय देशी गाय… यदि इसका सीधा सा अर्थ निकाला जाए तो यह कहा जा सकता है की भारत की अर्थव्यवस्था युगो-युगो से कृषि पर आधारित रही है ओर इसी कारण भारत को सोने की चिड़िया कहा जाता था |

इससे स्पष्ट हो जाता है की भारत का प्रत्येक नागरिक गौमाता के कारण इतना खुशहाल ओर निरोगी था | आज वही भारत पुन: बनाने की आवश्यकता है | पंचगव्य उत्पाद निर्माण करके आप सम्मानजनक धनोपार्जन कर सकते है |

कारण २. स्वावलंबी जीवन के लिए… आज भारत अंतरराष्ट्रीय कंपनियों के मकडजाल मे उलझा हुआ है… बड़े-२ महानगरों मे रहने वाले नागरिक त्रस्त है… ओर कंपनियों के अनुसार या कहें की उनकी दया पर जीवन जीने को बाध्य है… जहाँ देखा जाए तो वे ना स्वस्थ रह पा रहे है ना की कुछ धन संचित कर पा रहे है… अत: वे पुन: अपने गाँव जाने को छटपटा रहे है | यदि हम गाय को पुन: अपने घर मे ले आए तो इन कंपनियों की गुलामी से मुक्ति पाकर स्वावलंबन को प्राप्त किया जा सकता है |

कारण ३. आरोग्य के लिए… महानगरों मे जाकर ओर पश्चिमी सभ्यता को अपना कर जो भारी दुख हम भोग रहे है उसका एक ही निदान है… वो है भारतीय देशी गाय… इससे जो पंचगव्य हमें प्राप्त होते है वे सहज ही हमें स्वस्थ रखने मे पूर्णतया सक्षम है | गाय हमें विदेशी डॉक्टर की लूट से बचाकर निरोगी जीवन दे सकती है |

कारण ४. सदाचार से जीवन जीने के लिए… आज ऐसा कोई व्यवसाय नही जिसमें हमें झूठ नही बोलना पड़ता हो… इस विदेशी संस्कृति ने संपूर्ण भारतवर्ष को छली, कपटी, भ्रष्ट्राचारी ओर झूठा बना डाला है… जबकि गैया मैया की शरण मे हम सात्विक ओर सदाचार के साथ अपना जीवन निर्वहन कर सकते है |

कारण ५. शुद्धता के लिए… आज बाज़ार मे चारों ओर मिलावट भारी पड़ी है… गौमाता हमें इससे मुक्ति दिला सकती है |

कारण ६. गौरक्षा के लिए… आज भारत मे गौ की दशा बड़ी हृदयविदारक है… पंचगव्य के माध्यम से हम कुछ गाय बचाकर गौ को कसाईखाने जाने से बचा सकते है |

कारण ७. देश ओर धर्म की रक्षा के लिए… गाय की रक्षा से कुछ मात्रा में धर्म की रक्षा तो होगी ही पर राष्ट्र की बहुत बड़ी सेवा हो जाएगी | आज एलोपेथी के माध्यम से खरबों रुपया विदेशी मुद्रा के रूप मे बाहर जा रहा है… जिसके कारण भारतीय मुद्रा का अवमूल्यन होता है… ओर राष्ट्र की बहुत बड़ी हानि होती है | पंचगव्य के माध्यम से चिकित्सा कर हम इस पर बड़ी मात्रा में रोक लगा सकते है |

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